ऐसे में दिल्ली पुलिस जेल और कैदियों को लाने ले जाने के लिए बीएस-4 ईंधन और इंजन वाले 97 वाहन क्यों खरीद रही है? बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही ये आदेश दे चुका है कि एक अप्रैल 2020 से बीएस4 वाहनों की बिक्री और रजिस्ट्रेशन नहीं होंगे।
वहीं केंद्र सरकार भी तीन वर्ष पहले कह चुकी है कि बीएस5 मानकों से आगे बढ़कर वर्ष 2020 तक बीएस6 मानक लागू कर दिए जाएंगे। ग्रीनपीस एयर विजुअल की रिपोर्ट को मानें तो दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित 30 शहरों में 22 शहर भारत के हैं।
जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों की एक सूची जारी की है। इसमें वो शहर शामिल हैं जिनकी आबोहवा प्रदूषित है।

देश में बिकने वाली सभी कंपनियों की डीजल कारें बीएस6 (भारत स्टेज 6) मानक की वजह से प्रभावित होंगी। दरअसल बीएस6 मानक लागू होने के बाद इन कारों की कीमत में वृद्धि हो सकती है। वैसे भी डीजल कारें अपने पेट्रोल वर्जन के मुकाबले महंगी होती हैं।
बीएस6 मानक लागू होने पर इसी के अनुरूप ईंधन भी बिक्री के लिए तैयार होगा। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने बीएस-6 लागू करने की अधिसूचना वर्ष 2017 में ही लागू कर दी थी। हालांकि वाहन निर्माता कंपनियों ने अधिसूचना के खिलाफ समय सीमा बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
अब पहले चरण में चारों महानगरों सहित जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिमी यूपी सहित कुछ शहरों में बीएस-6 मानक लागू किया जाएगा। इसके बाद उत्सर्जन के नए नियम देशभर में लागू किए जाएंगे।


- बीएस6 के लिए नाइट्रोजन से ऑक्साइड को फिल्टर करने के लिए सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिडक्शन तकनीक का इस्तेमाल अनिवार्य होगा।
- बीएस6 के लिए विशेष प्रकार के डीजल पार्टिकुलेट फिल्टर बनाने की जरूरत होगी। इसके लिए बोनट के अंदर ज्यादा जगह भी चाहिए होगी।
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बीएस-3 और बीएस-4 से क्या नुकसान?
- बीएस-3 और बीएस-4 वाले वाहनों से निकलने वाला धुआं लोगों की सेहत पर बुरा असर डालता है। इनका धुआं कई बीमारियों को पैदा करता है, जैसे आंखों में जलन, नाक में जलन, सिरदर्द, फेफड़ों की बीमारी और उल्टी का आना।
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बीएस6 का क्या है फायदा?
- नए मानक बीएस6 से हवा में प्रदूषण की मात्रा में कमी आएगी। जहरीले तत्वों के हवा में कम होने सांस की तकलीफ से लोगों को निजात मिल सकेगी।
- नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के मामले में बीएस6 ग्रेड का डीजल काफी अच्छा माना जाता है।
- बीएस4 और बीएस3 ईंधन में सल्फर की मात्रा 50पीपीएम होती है। जो बीएस6 मानक से घटकर 10पीपीएम यानि अभी के स्तर से 80 फीसदी तक कम रह जाएगी।
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सरकार ने बीएस5 मानक को क्या लागू नहीं किया?
- यहां सवाल यह है कि बीएस3 और बीएस4 के बाद सीधे बीएस6 मानक की बात क्यों हो रही है? बीएस5 मानक को क्यों लागू नहीं किया जा रहा? दरअसल, बीएस 5 और बीएस6 ईंधन में जहरीले तत्व सल्फर की मात्रा बराबर होती है।
- बीएस4 ईंधन में 50 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) सल्फर होता है, वहीं बीएस5 और बीएस6 दोनों प्रकार के ईंधन में सल्फर की मात्रा 10पीपीएम ही होती है। यही वजह है कि सरकार ने सीधे बीएस3 और बीएस4 के बाद सीधे बीएस6 मानक को लागू करने का फैसला लिया है।
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बीएस अपग्रेड क्यों किया जाता है?भारत स्टेज या बीएस को जब भी अपग्रेड किया जाता है तो इससे वाहनों से निकलने धुएं के रूप में फैलने वाले प्रदूषण पर काफी हद तक रोक लगाई जाती है। पिछले दिनों राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद बीएस6 मानक को लागू करना देश की बड़ी जरूरत बन गया है।
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क्या इससे ईंधन और भी महंगा हो जाएगा?बीएस6 ईंधन की आपूर्ति के लिए सरकारी तेल कंपनियां रिफाइनरियों में 28,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। एक अप्रैल, 2020 से सभी कंपनियों को दिल्ली, एनसीआर और इसके करीबी जिलों में बीएस6 मानक वाले ईंधन की बिक्री शुरू करनी होगी। इससे पेट्रोल के दाम करीब 24 पैसे और डीजल के दाम 66 पैसे प्रति लीटर तक बढ़ सकते हैं।
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बीएस4 के पुराने वाहन चलते रहेंगे या नहीं?
- बीएस4 के पुराने वाहन चलते रहेंगे या नहीं, इसे लेकर स्थिति अभी साफ नहीं है। हालांकि अप्रैल 2020 से बीएस6 मानक वाले वाहनों का उत्पादन अनिवार्य है तो इसे लेकर भी सरकार को नीति बनानी होगी। क्योंकि बीएस4 मानक वाले पुराने वाहनों में बीएस6 मानक वाला पेट्रोल डालने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
- हालांकि डीजल के मामले में थोड़ा फर्क पड़ेगा। कारण कि अभी बेचे जा रहे बीएस4 मानक वाले डीजल में सल्फर की मात्रा 50पीपीएम होती है और बीएस6 मानक वाले डीजल में यह 10पीपीएम रह जाएगी। फिर भी बीएस6 मानक इंजन वाले वाहन इसके लिए ज्यादा बेहतर होंगे क्योंकि वे गुणात्मक रूप से बेहतर परिणाम देंगे।
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एडवांस इमीशन कंट्रोल सिस्टम से लैस होंगे वाहन
- ऐसी धारणा है कि पेट्रोल की तुलना में डीजल वाहन ज्यादा प्रदूषण करते हैं, ऐसे में बीएस6 मानक लागू होने पर इनमें कोई खास अंतर नहीं रहेगा। हालांकि यह बात नहीं है बीएस6 मानक में डीजल वाहनों से 68 प्रतिशत और पेट्रोल कारों से 25 प्रतिशत तक नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी।
- सीएसई के अनुसार, बीएस6 मानक वाले ईंधन से सल्फर की मात्रा बीएस4 मानक वाले वाहनों की तुलना में पांच गुना तक कमी आएगी। बीएस6 मानक वाले वाहनों में एडवांस इमीशन कंट्रोल सिस्टम फिट होगा।
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वाहनों का माइलेज भी बढ़ेगाबीएस6 मानक वाले वाहनों में नया इंजन और इलेक्ट्रिकल वायरिंग बदलने से वाहनों की कीमत में 15 फीसदी का इजाफा हो सकता है। हालांकि इससे इंजन की क्षमता बढ़ेगी। फलस्वरूप कारें 4.1 लीटर में 100 किलोमीटर से अधिक माइलेज देंगी। वाहन निर्माता कंपनियां माइलेज में फर्जीवाड़ा भी नहीं कर पाएंगी।
- बीएस-3 और बीएस-4 वाले वाहनों से निकलने वाला धुआं लोगों की सेहत पर बुरा असर डालता है। इनका धुआं कई बीमारियों को पैदा करता है, जैसे आंखों में जलन, नाक में जलन, सिरदर्द, फेफड़ों की बीमारी और उल्टी का आना।