आइस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती देने वाले भारत के महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार की सुबह पटना के पटना मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में निधन हो गया. आपको बता दें कि बिहार के रहने वाले डा वशिष्ठ की प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मानती थी.
डा वशिष्ठ की प्रतिभा को सबसे पहले कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन कैली ने पहचाना और वे उन्हें अपने साथ अमेरिका ले गए. डा वशिष्ठ जब युवा थे तभी उन्हें मानसिक बीमारी ने घेर लिया और अंत तक वे इस बीमारी जुझते रहे.
उनके बारे ऐसा कहा जाता है कि अगर वो सरकारी उपेक्षा के शिकार ना होते तो उनकी गिनती दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में होती. आपको बता दें कि 74 साल की आयु में महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह निधन हो गया. वशिष्ठ नारायण लंबे समय से सिजोफ्रेनिया नामक बीमारी से पीड़ित थे.
छात्र जीवन में प्रोफेसर को करते थे चैलेंज-
शिष्ठ नारायण सिंह 2 अप्रैल 1946 में बिहार में पैदा हुए. वशिष्ठ नारायण छात्र जीवन से ही मेधावी थे. 1958 में बिहार के सबसे प्रतिष्ठित नेतरहाट की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान हासिल किया. 1963 में हायर सेकेंड्री की परीक्षा में टॉप किया था.