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महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के तीन दिन बाद भी सरकार गठन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। शिवसेना के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत लगातार बयान दे रहे हैं कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री शिवसेना से ही होगा। संजय राउत ने शुक्रवार को यह भी बयान दिया है कि कांग्रेस-एनसीपी के साथ वार्ता चल रही है और सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर चलेगी।
हालांकि महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस की सियासत एक-दूसरे के विरोध पर टिकी रही है। ऐसे में यदि तीनों दलों के गठबंधन की सरकार बनती है तो शिवसेना या कांग्रेस में से किसी एक पार्टी को अपनी वैचारिक पहचान खोने का नुकसान झेलना पड़ सकता है। दरअसल, शिवसेना की पहचान एक कट्टर हिंदुत्ववादी पार्टी के रूप में है। भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद शिवसेना के हाई कमान ने कई बार खुले मंच से बयान भी दिया कि एनडीए के पास 300 से अधिक सांसद हैं और अब अयोध्या में राम मंदिर के लिए मोदी सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस और NCP के साथ गठबंधन करने पर शिवसेना को कट्टर हिंदुत्ववादी पार्टी की ये छवि छोड़नी पड़ेगी। शिवसेना यदि हिंदुत्व का मुद्दा छोड़ती है तो उसकी वैचारिक पहचान समाप्त हो जाएगी और महाराष्ट्र में इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा।