विराट के करियर का काला सच…जब उन्हें लगने लगा था कि सब कुछ खत्म हो गया
ऑस्ट्रेलिया स्टार बल्लेबाज ग्लेन मैक्सवेल ने बीते दिनों अज्ञात परेशानियों का हवाला देकर क्रिकेट से ब्रेक ले लिया, इसके बाद युवा कंगारू बल्लेबाज निक मेडिनसन ने भी मानसिक तनाव के चलते यही कदम उठाया। इंग्लैंड में स्टीव हार्मिसन, मार्कस ट्रेसकोथिक और जेरेमी फोवलेर भी मानसिक अवसाद का सामना कर चुके हैं। अब विराट कोहली ने भी खुद को लेकर बड़ा खुलासा किया है।
भारतीय कप्तान विराट कोहली की माने तो वह भी इस दौर से गुजर चुके हैं, जब उन्हें लगने लगा था कि सब कुछ खत्म हो चुका है। मामला 2014 का है, जब भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर थी। विराट की माने तो वह भी अपने करियर में ऐसे मोड़ से गुजरे हैं। तब उन्हें लगने लगा था कि दुनिया खत्म हो गई। बकौल विराट, ‘मुझे समझ नहीं आया कि क्या करूं और सबसे क्या कहूं। कैसे बात करूं।’
अपने 11 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में कोहली 2014 में उस दौर का सामना कर चुके हैं जब वह एक अर्धशतक भी नहीं बना सके थे और उनकी काफी आलोचना हुई थी। बांग्लादेश के खिलाफ इंदौर में गुरुवार से शुरू होने वाले टेस्ट मैच से पहले विराट ने कहा कि, ‘मैं उस समय कह नहीं सका कि मानसिक तौर पर अच्छा महसूस नहीं कर रहा हूं और खेल से दूर जाने की जरूरत है। आपको पता नहीं होता कि उसे किस रूप में लिया जाएगा।’
साथ-साथ विराट का यह भी मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य के मसलों को स्वीकार करने वाले ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैक्सवेल ने अच्छा काम किया है। भारतीय कप्तान ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो आपका (पत्रकारों का) यह काम है और हमारा भी एक काम है। हर कोई अपने काम पर फोकस करता है। यह पता करना मुश्किल है कि दूसरे व्यक्ति के दिमाग में क्या चल रहा है।’
मैक्सवेल के खिलाफ आईपीएल में काफी खेल चुके कोहली ने कहा, ‘उसने दुनिया भर के क्रिकेटरों के सामने मिसाल पेश की है। यदि आप मानसिक तौर पर सही स्थिति में नहीं है तो कई बार ऐसा मौका आ जाता है कि आपको समय की जरूरत पड़ती है।’