बता दें कि कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड लगातार दलील देते हुए कह रहा था कि जमीन से बार ना किया जाए. कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सुन्नी कफ्फ बोर्ड ने लगातार अपनी दलील बदली. कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बहस में अपने दावे को बदला. पहले कुछ कहा, बाद मे नीचे मिली रचना को ईदगाह कहा. साफ है कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बना था.”


कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए बड़ी बात कही कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी वैकल्पिक ज़मीन देना ज़रूरी है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे. ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए, मन्दिर निर्माण के नियम बनाए. विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए.” कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले. या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे.