साल 1813 में पहली बार किया गया था मंदिर को लेकर दावा
उस वक्त भी दोनों पक्षों के बीच हिंसात्मक घटनाएं हुई थीं।ब्रिटिश सरकार ने साल 1859 में विवादित जगह पर तार की एक बाड़ बनवा दी। इसके बाद साल 1885 में पहली बार महंत रघुबर दास ने ब्रिटिश शासन के दौरान ही अदालत में याचिका देकर मंदिर बनाने की अनुमति मांगी थी।
पहली बार ढांचा साल 1934 में गिराया गया

आजाद भारत में ऐसे बना बड़ा मुद्दा
विश्व हिंदू परिषद ने भी बनाया मुद्दा
बाबरी एक्शन कमेटी 1986 में बनाई गई
इसके बाद साल 1992 में 6 दिसंबर को कारसेवकों ने भारी संख्या में अयोध्या पहुंचकर विवादित ढांचा एक बार फिर ढहा दिया। इस दौरान भी हिंसा भड़की, देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए और इसी दौरान अस्थाई राम मंदिर भी बनाया गया। इसके बाद से ही मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने के काम में तेजी भी आई। दिसंबर 1992 में ही लिब्रहान आयोग गठित किया गया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2002 में सुनवाई शुरू की
हाईकोर्ट के फैसले को साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई
साल 2017 से अब तक मध्यस्थता के सारे प्रयास विफल रहे
15वीं सदी से चल रहे विवाद का अंत नजदीक
इसके बाद इसी मामले में विभिन्न पक्षों की ओर से 14 याचिकाएं दाखिल की गईं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। ऐसे में देखा जाए तो 15वीं सदी से चल रहे इस विवाद का अंत होने को है।
अयोध्या मामले की टाइमलाइन
1885: महंत रघुबर दास ने फैजाबाद जिला कोर्ट में विवादित भूमि के बाहर मंडप लगाने को याचिका दायर की। याचिका खारिज।
1949: विवादित ढांचे के बाहर केंद्रीय गुंबद के नीचे रामलला की मूर्ति प्रकट हुई।
1950: रामलला की पूजा का अधिकार देने के लिए गोपाल सिंह विषारद ने फैजाबाद कोर्ट में मुकदमा दायर किया।
1950: परमहंस रामचंद्र दास ने पूजा और मूर्तियों को रखने की लिए फैजाबाद कोर्ट में मुकदमा दायर किया।
1959: निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल पर कब्जे के लिए मुकदमा दायर किया।
1981: यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कब्जे को लेकर मुकदमा दायर किया।
1 फरवरी, 1986: स्थानीय अदालत ने स्थल को हिंदुओं की पूजा के लिए खोलने का आदेश दिया।
14 अगस्त, 1989: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
6 दिसंबर, 1992: विवादित ढांचे को ढहा दिया गया।
अप्रैल 2002: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की।
30 सितंबर, 2010: हाईकोर्ट ने विवादित स्थल को तीन बराबर हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला में बांटने का फैसला सुनाया।
9 मई, 2011: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।
8 फरवरी, 2018: सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपीलों पर सुनवाई शुरू की।
2019: सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया।
6 अगस्त, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना मामले की सुनवाई शुरू की।
16 अक्तूबर, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा।