यदि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन इसी दर से बढ़ता रहा, तो 2050 तक देश का औसत तापमान चार डिग्री तक बढ़ सकता है | इसके कारण देश में सालाना 15 लाख से अधिक लोगों के जीवन को खतरा पैदा होने की आशंका है | 64 प्रतिशत मौतें छह राज्यों उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश तथा महाराष्ट्र में हो सकती है.
क्लाइमेट इंपैक्ट लैब और यूशिकागो के टाटा सेंटर फॉर डेवलपमेंट ने जीवन तथा अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के असर का अध्ययन किया| अध्ययन के परिणाम गुरुवार को नयी दिल्ली में यूशिकागो (यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो) सेंटर में जारी किये गये| रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण कुछ दशक बाद 35 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान वाले बेहद गर्म दिनों की औसत संख्या आठ गुना बढ़कर 42.8 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी | 2010 में ऐसे बेहद गर्म दिनों की संख्या 5.10 प्रतिशत थी|
आने वाले साल में देश के 16 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों का औसत तापमान 32 डिग्री से अधिक होगा| अध्ययन के अनुसार, बढ़ते औसत तापमान और बेहद गर्म दिनों की बढ़ती संख्या का असर मृत्यु दर पर पड़ता है| इसके कारण कुछ दशक बाद देश में सालाना 15 लाख से अधिक लोगों की मौत हो सकती है|