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नई दिल्ली: भारत में ई-सिगरेट कंपनियों के प्रवेश पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रयासों के बाद भी एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया है कि 36 ब्रांड गत तीन वर्षों से देश में ऐसे अवैध उपकरण (ई-सिगरेट) बेच रहे हैं. 31 मई को विश्व तंबाकू दिवस से पहले जारी किए गए इस सर्वेक्षण को नयी दिल्ली के गैर लाभकारी संगठन ‘कंज्यूमर वॉयस’ के कार्यकर्ताओं ने किया है.
यह संगठन लोगों से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर सरकार को सलाह देता है. ई-सिगरेट ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से निकोटिन को आकर्षक रूप में प्रस्तुत किया जाता है. इनकी ब्रांडिंग कम नुकसान पहुंचाने वाले उत्पाद के रूप में की जाती है जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह सत्य नहीं है.
ये उपकरण तंबाकू उत्पादन, वितरण और इस्तेमाल पर मौजूदा राष्ट्रीय कानून के दायरे में नहीं आते, किन्तु स्वास्थ्य के लिए पारंपरिक सिगरेट जितने ही नुकसानदेह होते हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ई-सिगरेट कंपनियों के भारत में प्रवेश पर लगाम लगाने को लेकर वाणिज्य मंत्रालय में कई पत्र लिखे हैं और देश के स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी इन उपकरणों पर पूरी तरह बैन लगाने का आग्रह कर रहे हैं.