आज की राजनीति में ‘परिवारवाद’ नाक-भौं सिकोड़े जाने वाला शब्द बन गया है. मगर सच ये है कि कांग्रेस के अंदर एक भी ऐसा नेता नहीं, जिसके अंदर राहुल गांधी जैसी बात हो. कोई भी नहीं, जो राहुल की तरह भीड़ खींच सकता हो. वो भी तब, जब खुद राहुल भी बहुत ज्यादा असरदार नहीं रहे हैं. सोचिए फिर कि बाकी नेता कितने प्रभावहीन होंगे. कांग्रेस पहले भी गांधी परिवार से बाहर के लोगों को नेतृत्व देने का प्रयोग कर चुकी है. वो जानती है कि गांधी परिवार के अलावा कोई और कमान संभाले तो पार्टी बंट जाती है.
आज की राजनीति में ‘परिवारवाद’ नाक-भौं सिकोड़े जाने वाला शब्द बन गया है. मगर सच ये है कि कांग्रेस के अंदर एक भी ऐसा नेता नहीं, जिसके अंदर राहुल गांधी जैसी बात हो. कोई भी नहीं, जो राहुल की तरह भीड़ खींच सकता हो. वो भी तब, जब खुद राहुल भी बहुत ज्यादा असरदार नहीं रहे हैं. सोचिए फिर कि बाकी नेता कितने प्रभावहीन होंगे. कांग्रेस पहले भी गांधी परिवार से बाहर के लोगों को नेतृत्व देने का प्रयोग कर चुकी है. वो जानती है कि गांधी परिवार के अलावा कोई और कमान संभाले तो पार्टी बंट जाती है.