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जैसा कि हमें पता है जलियांवाला बाग हत्याकांड 30 अप्रैल 1919 को हुआ था। यह घटना अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुई थी। जलियांवाला बाग पहले जल्ली नामक व्यक्ति की संपत्ति थी। उस समय एक एक्ट आया था जिसका नाम था रौलट एक्ट। इस एक्ट के जरिए क्रांतिकारियों को बिना किसी गुनाह के गिरफ्तार किया जा रहा था और ना तो उनकी सुनवाई हो रही थी।
इस एक्ट के विरोध में देशभर में जगह-जगह जनसभाएं की जा रही थी। 9 अप्रैल 1919 को पंजाब के लोकप्रिय नेता सैफुद्दीन किचलू तथा डॉक्टर सत्यपाल को अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर के हाथों बिना वजह गिरफ्तार कर लिया गया था।13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन अपने लोकप्रिय नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में जलियांवाला बाग में एक विरोध जनसभा का आयोजन किया गया था।
अमृतसर के कमांडर जनरल डायर ने इस सभा को घेर कर निहत्थी भीड़ पर गोलियों की बरसात कर दी। सरकारी रिपोर्ट में वहां मरने वालों की संख्या मात्र 379 बताई गई जबकि लगभग 1000 लोग मारे गए थे तथा 3000 से अधिक घायल हुए थे। इस नरसंहार के विरोध में रविंद्र नाथ टैगोर ने अपनी ‘नाइटहुड’ की उपाधि वापस कर दी तथा जमनालाल बजाज ने ‘राय बहादुर’ की उपाधि लौटा दी। गांधी जी ने भी इस घटना के विरोध में ‘कैसर ए हिंद’ की उपाधि लौटा दी थी।
आपको जानकर हैरानी होगी के इस हत्याकांड में ‘हंसराज’ नामक एक भारतीय ने जनरल डायर का सहयोग किया था। यही वह सख्स है जिसने जनरल डायर को इस जनसभा के बारे में बताया था। अगर इस देशद्रोही ने इस जनसभा की जानकारी जनरल डायर को न दी होती तो शायद हजारों मासूमों की जान बच जाती । इस इंसान को अगर जलियाँवाला हत्याकांड का असली गुनाहगार कहा जाए तो गलत नही होगा।
दोस्तों अब क्या कहेंगे इस देशद्रोही व्यक्ति के बारे में??